Tuesday, September 30, 2008

सोच कर बोलो

इते अइओ देखियो जौ गोविंदा कौन ऐ मार रओ है /मैं दाडी बनाते बनाते टीवी के सामने जाकर खड़ा होगया /सचमुच अभिनेता गोविंदा किसी को पीट रहा था /एक वाक्य बोलता फ़िर थप्पड़ मारता ,फिर वही वाक्य बोलता फिर थप्पड़ मारता / मैं आधा घंटा तक देखता रहा , इतने लोग खड़े हैं कोई बीचबचाव क्यों नहीं कर रहा, पिटने वाला भाग क्यों नहिः रहा ,गोविंदा एक ही वाक्य बार बार बोल कर थप्पड़ क्यों मार रहा है वह आगे भी तो कुछ बोल सकता है / आधा घंटा के बाद मेरी समझ में आया की यार थप्पड़ तो एक ही मारा है ये टीवी वाले बार बार बतला रहे हैं / जैसे ही मेरी समझ में आया ,मुझे मेरी पत्नी के अक्ल पर बडा तरस आया / मैंने कहा अरे थप्पड़ तो एक ही ..मेरा वाक्य पूरा होने के पहले ही पत्नी बोली जानती हूँ इसे पत्रकारिता की भाषा में {उसने कोई अंग्रेजी शब्द बोला जो मेरी समझ में नहीं आया } कहते हैं /मैं वापस आकर दाडी बनाने लगा

Monday, September 29, 2008

झूंठ बोलने का अभ्यास न हो तब तक झूंठ न बोलें

मैं डिप्टी मुंसरिम के पद पर था बडे साहब एक काम नहीं कर रहे थे / मैंने कहा मुझे एक दिन की छुट्टी देदो मैं रजिस्ट्रार साहब से ऑर्डर करा लाऊँगा, वे गुना के हैं और हम एक ही स्कूल में पढ़े हैं =मैं जबलपुर गया स्लिप भिजवाई ,चपरासी बुलाने ही नहीं आया, मैं बापस आगया /साहब की रजिस्ट्रार सा'ब से बात हुई होगी फोन पर कि डिप्टी वहां नही आया /मैं ऑफिस में काम कर रहा था, साहब ने बुलाया /पूछा करवा लाये काम ,मैंने कहा हो जायेगा ,उन्होंने कहा है ऑर्डर भिज्वादेंगे /
साहब ने पूछा = और पूछा तो होगा क्यों बृजमोहन कैसे हो ,बाल बच्चे कैसे हैं
मैंने कहा +नहीं इतनी बात तो नही हुई

साहब ने पूछा पहिचान तो लिया था ?

मान घटे नित पर घर जाए

रिटायर्मेंट के बाद में प्रतिदिन सुबह उनके घर जाने लगा /वही पेपर पढता /उनकी चाय बन रही होती तो चाय भी पीता-समय पास करना कितना कठिन होता है ,भुक्त भोगी ही जानता है /एक दिन मैं गया तब वे नहाने जारहे थे
मुझसे कह गए आता हूँ दस मिनट में, मैं पेपर पढ़ने लगा /भाभी जी को पता न था /दरवाजे की घंटी बजी /वे बाथरूम से चिल्लाए देखना कौन है /किचन में से भाभी जी बोलीं ,वोही होंगे बृजमोहन और कौन होगा /काम न धाम