मैं डिप्टी मुंसरिम के पद पर था बडे साहब एक काम नहीं कर रहे थे / मैंने कहा मुझे एक दिन की छुट्टी देदो मैं रजिस्ट्रार साहब से ऑर्डर करा लाऊँगा, वे गुना के हैं और हम एक ही स्कूल में पढ़े हैं =मैं जबलपुर गया स्लिप भिजवाई ,चपरासी बुलाने ही नहीं आया, मैं बापस आगया /साहब की रजिस्ट्रार सा'ब से बात हुई होगी फोन पर कि डिप्टी वहां नही आया /मैं ऑफिस में काम कर रहा था, साहब ने बुलाया /पूछा करवा लाये काम ,मैंने कहा हो जायेगा ,उन्होंने कहा है ऑर्डर भिज्वादेंगे /
साहब ने पूछा = और पूछा तो होगा क्यों बृजमोहन कैसे हो ,बाल बच्चे कैसे हैं
मैंने कहा +नहीं इतनी बात तो नही हुई
साहब ने पूछा पहिचान तो लिया था ?
Monday, September 29, 2008
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3 comments:
सार्थक और सटीक सुंदर पंक्तियाँ बधाई
आपको मेरे चिट्ठे पर पधारने हेतु बहुत बहुत धन्यबाद . कृपया अपना आगमन नियमित बनाए रखें
my new post named mukhya mantree ki aashirvad yatra meri nazar se krupyaa jaroor padhe
नमस्कार श्रीवास्तव जी, वास्तव में इस ब्लॉग दुनिया में दूसरे ब्लोगेर्स के साथ जुड़ना बहुत मुश्किल है. ऑरकुट जैसी कोई व्यवस्था यहाँ होनी चाहिए थी. खैर, आपकी सभी पोस्टिंग्स बेहतरीन हैं. उम्मीद है आप ब्लोगेर्स भाइयो से जुड़ने के लिए http://ashokchakradhar.blogspot.com और मेरे ब्लॉग http://vicharokatrafficjam.blogspot.com पर कमेन्ट और अपने ब्लॉग का url ज़रूर देंगे. -अमित माथुर
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