Thursday, October 2, 2008

ये कैसा अर्थ

देखना मम्मी ,पापा को क्या धुन सवार हुई है ,सवेरे से उठे और कम्प्यूटर खोल कर बैठ जाते है ,पहले अपने ब्लॉग पर जायेंगे अपने लेख पर कोई टिप्पणी आई है क्या देखेंगे =न देख कर निराश होंगे ,फिर दूसरों के ब्लॉग पर जायेगे उन्हें बुलाने /वही बैठे बैठे दो तीन बार चाय मंगवा लेंगे फिर कहेंगे खाना नहीं खवता/ दफ्तर से आकर फिर बैठ जायेंगे रात एक एक बजे तक / तंदुरुस्ती अलग ख़राब कर रहे हैं / झुंझला कर पत्नी ने कहा -इससे तो कम्पुटर न सीखते तो ही अच्छा था /इतने बड़े लेखक थे तो सम्पादक क्यों नहीं छापता था /इंटरनेट पर अभ्यास कर रहे हैं तभी तो बुद्धि भ्रष्ट हो रही है कहा तो है "" करत करत अभ्यास के जडमति ,होत सुजान ""अरे सुजान भी जड़मति हो जाते हैं / जडमति होत ,कौन ? बोले सुजान

3 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

सुंदर पैना व्यंग हम सब पर
आपको पधारने का आमंत्रण है जिन्दी का चिंतन पढने को मेने आपको मेरे ब्लॉग पर शामिल कर लिया है आप भी मुझे शामिल कर ले

Satish Saxena said...

बड़े भाई !
आपका ईमेल पता न पाकर निराशा हुई, कृपया अपने प्रोफाइल में ईमेल enable अवश्य कर दें ! आपके कमेंट्स आशीर्वाद सरीखे लगे ! आपको मैं अपने से अधिक जवान मानता हूँ , एक आदर्श कायम कर रहे हैं आप ! एक गुजारिश आप अपनी age information हटा दें, उससे इस दिखावे जगत के बहुत से बच्चे आपको पढने ही नही आयेंगे ! जबकि आपको जानना उनके व समाज के लिए बहुत आवश्यक है ! ;-)
मैं भी ६० के बाद अपनी उम्र कम से कम ब्लाग पर किसी को नही बताऊंगा !
कृपया word verification तुंरत हटा दें ! इसका कोई फायदा नही है !

सादर आपका

अमित माथुर said...

नमस्कार श्रीवास्तव जी, वास्तव में इस ब्लॉग दुनिया में दूसरे ब्लोगेर्स के साथ जुड़ना बहुत मुश्किल है. ऑरकुट जैसी कोई व्यवस्था यहाँ होनी चाहिए थी. खैर, आपकी सभी पोस्टिंग्स बेहतरीन हैं. उम्मीद है आप ब्लोगेर्स भाइयो से जुड़ने के लिए http://ashokchakradhar.blogspot.com और मेरे ब्लॉग http://vicharokatrafficjam.blogspot.com पर कमेन्ट और अपने ब्लॉग का url ज़रूर देंगे. -अमित माथुर