जोक :-एक बाबूजी अकेले ,मस्त ,वेफिक्र ,तनखा अच्छी शादी हुई नहीं तो लापरवाह -कपड़े धुलने देते पेंट में पैसे चले जाते /धोने वाला ईमानदार /कपड़े देता= सौ का नोट दिया ""सर सौ का नोट जेब में चला गया था /बाबूजी नोट लेते ,दस रूपये इनाम देते इमानदार कर्मचारी दस रूपये रख लेता तीन चार वार ऐसे हुआ /एक दिन कपड़े लाया कपड़े दिए ,९० रूपये दिए ""सर सौ का नोट जेब में चला गया था /
संदेश :- रोज़ घर आने वाले को रोज़ चाय मत पिलाओ -जिस दिन न पिला सके बुरा लगेगा /तुम हकीकत में कहोगे दूध फट गया वो समझेगा पिलाना नहीं चाहता /किराए दार को इतनी सहूलियतें मत दो की वह जम जाए मकान कभी खाली ही न करे /मकान मालिक को किराया किसी निश्चित तारिख को मत दो कभी चार दिन लेट कभी आठ दिन लेट ,कभी दो माह का इकट्ठा ,कई महीने तक एक निश्चित तारीख चलती रही तो एक दिन भी लेट होने पर चढ़ चढ़ बैठेगा /पहली तारिख को पत्नी को पूरी तनखा हाथ पर मत रखो कभी दो सौ कम कभी चार सौ कम =कभी पाँच रूपये ज़्यादा भी ऐसी बात नहीं है -पहली तारिख को एक निश्चित राशिः हाथ में आती रही तो जिस दिन भी दस रुपे कम होंगे हिसाब माँगा जायेगा
Saturday, October 4, 2008
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3 comments:
नमस्कार श्रीवास्तव जी, वास्तव में इस ब्लॉग दुनिया में दूसरे ब्लोगेर्स के साथ जुड़ना बहुत मुश्किल है. ऑरकुट जैसी कोई व्यवस्था यहाँ होनी चाहिए थी. खैर, आपकी सभी पोस्टिंग्स बेहतरीन हैं. उम्मीद है आप ब्लोगेर्स भाइयो से जुड़ने के लिए http://ashokchakradhar.blogspot.com और मेरे ब्लॉग http://vicharokatrafficjam.blogspot.com पर कमेन्ट और अपने ब्लॉग का url ज़रूर देंगे. -अमित माथुर
shrivastav ji
khushi hui ye jankar ki logon ko mere naye post ka itjar rahta hai. darsal main vastta k karn post nahi kar pati.aaj post kar diya hai.
aapke sandesh achchhe hain or rojmarra ke jiwan me kaam aane wale v .
श्रीवास्तव जी अच्छे सुझाव दिये हैं।
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