Monday, October 13, 2008

जोक तथा संदेश (६)

जोक एक अपरिचित क्षेत्र से ,अपरिचित क्षेत्र में ,एक अपरिचित मित्र के यहाँ एक अपरिचित्र मित्र आया /[[ब्लोगिंग ,चेटिंग .,ऑरकुट बगेरा से दोस्ती हुई एकदूसरे के घर आने का आमंत्रण ]] अब बाह्य मित्र अपनी ही बात करे ,हम जमीदार थे खेत बागीचा गाय भैंस स्थानीय को बोलने ही न दे /बाह्य कहने लगा हमारे दादाजी बडे बलवान ,एक दिन जंगल से लौट रहे रास्ते में नदी में पानी पीने लगे ,क्या देखा की बगल में शेर पानी पी रहा है /स्थानीय =फिर क्या हुआ =बाह्य -क्या हुआ शेर को गुदगुदा दिया ,साला हंसता हुआ भाग गया /फिर ताऊजी का कहने लगा क्या हेल्थ ,सॉलिड बॉडी =जंगल से आरही थे ,सामने शेर आगया =अब शेर इनको देखे ,ये शेर को देखें पाँच मिनट हो गए /स्थानीय =फिर क्या हुआ ? बाह्य -क्या हुआ दो टुकड़े कर के रख दिए /स्थानीय क्या शेर के ? बाह्य नहीं ताऊजी के /

तो क्या हुआ शाम को दोनों मित्र बाज़ार घूमने गए /एक जगह गिलकी रखी थी ,वाह्य -ये क्या है ?स्थानीय -ये गिलकी है =वाह्य -ओ इंतनी छोटी छोटी हमारे यहाँ तो लौकी के बराबर होती है /स्थानीय चुप / आगे बड़े तो एक जगह आंवले बिक रहे थे /बाह्य ये क्या है ?स्थानीय ये आंवले है /बाह्य ओ आंवला आई नो आंवला =मगर बहुत छोटा /हमारे यहाँ कद्दू माफिक बड़ा होता है /स्थानीय चुप/ आगे बड़े एक जगह तरबूज ट्रक में से उतर रहे थे /बाह्य ये क्या है ?स्थानीय ये अंगूर है /बाह्य चुप /

संदेश ;- हमेशा अपने परिवार अपने बच्चों ,बुजुर्गों की ही तारीफ़ न करता रहे ,लोग बोर हो जाते है -पीठ पीछे कहते है यार उसके यहाँ जाओ तो या तो उसकी बात सुनो या उसकी बात करो /कुछ लोगों को बड़प्पन जताने की आदत होती है ,कोई आया होगा तो चाय पिला कर कहेगे बेटा जरा अंदर बोरी में से दो चार सुपारी के टुकड़े दे जाना /अब बोरी में से ?और कल ही सौ ग्राम सुपारी उधार लाये है /एक मित्र ,मित्र के यहाँ गया ,मित्र के घर एक भव्य तस्वीर टंगी थी [[भरा चेहरा ,मूंछे ,शेरबानी ,सोने की चेन आदि ]]तस्वीर पर माला टंगी थी /मित्र ने मित्र से पूछा ये कौन है /मित्र ने जवाब किया "मेरे ग्रैंड फादर है "मित्र सोचने लगा ;काश अगर उस दिन आर्ट गेलरी में मेरे पास ५०० रुपे और ज्यादा होते तो आज ये मेरे ग्रैंड फादर होते /ज़्यादा फेंकना नहीं चाहिए जैसा की काका ने कहा था ""कहो हमारे बाप , के बाप ,बाप के बाप ,उनके जूता को हतो छप्पन गज को नाप ""

4 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

श्रीवास्तव जी अच्छी चुटकुले और अच्छा संदेश हमेशा की तरह धन्यवाद मेरी नई रचना कैलंडर पढने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं

L.Goswami said...

अच्छा लिखा आपने .नियमित लिखें..अख़बार छापें या नही ..आप हमेसा छापते रहें इस ब्लॉग पर ..हमारी शुभकामना आपके साथ है

shelley said...

achcha chutkula or sandesh diya aapne.

Dileepraaj Nagpal said...

shukriya aapka. jocks badhiya lage