Friday, October 17, 2008

जोक तथा संदेश (८)

जोक:- बी ऐ फईनल में एक लडकी फर्स्ट क्लास आई तो कालेज ने पेरेंट्स को बुलाया पिताजी बाहर गए थे तो माँ को कालेज अकेले लडकी के साथ जाना पडा कालेज स्टाफ ने देखा तो माँ से कहा आप दोनों माँ बेटी जैसी लगती ही नहीं है माँ को अपने रख रखाव पर गर्व होना स्वाभाबिक था शर्मा कर बोली क्या में बेटी के बराबर दिखती हूँ स्टाफ ने कहा नहीं आपकी बेटी आपके बराबर दिखती है /

संदेश"" अति सर्वत्र वर्जयेत "" बुद्ध भगवान् ने कहा ""वीणा के तार"" मगर उनसे भी बहुत पूर्व गीता में कृष्ण ""अपरे नियताहारा"" : तथा ""युक्ताहारविहारस्य "" अलग अलग अध्यायों में कह चुके हैं /मै आपको सत्य घटना बताऊँ ,एक वकील साहिबा कुछ जरूरत से भी बहुत ज़्यादा गोल मटोल, नाटा कद, पेशी तारीख लेने आई तो साहब ने कहा वकील साहिब ,सिविल जज की जगह निकली है, फार्म भर दो =वकील साहेब ने कहा जी सर भर रही हूँ /वकील साहेब के जाने के बाद साहब मेरी और मुस्कराकर बोले ,मै ये चाहता हूँ कि यह जो भार, धरती पर इधर उधर डोलता फिर रहा है एक जगह स्थिर हो कर बैठ जाए / ऐसा भी नहीं होना चाहिए / लेकिन शरीर इतना दुबला भी न होना चाहिए जैसे मुझसे बिहारी कवि ने कहा मेरी नायिका विरह में झूला झूल रही है =मैंने कहा विरह और झूले का ताल्लुक ही नही ,झूला खुशी का प्रतीक है /तो कवि विहारी ने [[यह सैकडों साल पुरानी घटना है}} कहा देखो मेरी नाइका विरह में इतनी दुबली हो गई है कि जब साँस लेती है तो दस कदम पीछे और साँस छोड़ती है तो दस कदम आगे इस तरह से झूला झूल रही है / अत बीच का रास्ता अपना कर ""स्लिम "" और"" कमजोरी "" का अंतर समझ लेना चाहिए /कहीं ऐसा न हो कि स्लिम रहने के चक्कर में दुर्बलता के कारण जीवन दुखदायी हो जावे /

10 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

हर बार की तरह बहुत सुंदर जोक बेहतरीन संदेश के साथ श्रीवास्तव जी चुनावी दंगल पढ़ने मेरे ब्लॉग पर पधारें

P.N. Subramanian said...

बहुत सुंदर. बधाई.

Gyan Dutt Pandey said...

वाह, बृजमोहन जी, आप तो जोक और उसकी व्याख्या/उसका संदेश बहुत सशक्त लिख रहे हैं।
मैने पिछला वाला भी पढ़ा। पंचतंत्रीय मजा आ गया।

अभिषेक मिश्र said...

Kafi arthpurna jokes hain. Swastha tatha gyanpurna posts ke liye dhanyawad.

वर्षा said...

वढिया है!

रंजना said...

waah ! badhiya kahi.

Dr.Satyendra Khare said...

brijmohan ji
thanks u read my poem and liked it.i am also impressed by ur blog .

dr satyendra khare

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

सुन्दर ........

virendra sharma said...

बहुत साथक सन्देश मज़ाक मज़ाक में .सेहत का नुश्खा बता गए ब्रिज भूषन जी आप .शुक्रिया .

virendra sharma said...

नहीं आपकी बेटी आपके बराबर लगती है .बहुत सार्थक जोक्स ला रहें हैं आप .शुक्रिया .